जिद हैं मेरी…………ये जिद हैं मेरी
आकाश बता क्या हद हैं तेरी
कितने सितारे चमकते हैं तेरे दामन में
कितने राज छुपाये हैं तूने तेरे आँचल में
एक दिन तुझे बेनकाब कर देंगे
ये जिद हैं मेरी
सागर की लहरें तो तट को
छूकर लौट जाती हैं
पर जब सागर में तूफान आता हैं
वो सारी हदें लांघ जाता हैं
ये जिद हैं मेरी
हवाओं से कह दो
वो अपनी हद में रहें
चट्टानों से टकराने की कोशिश ना करें
ये जो मेरे सीने में उठता उबाल हैं
सूरज से कह दो
मुझ में तुझ से ज्यादा आग हैं
जहां खड़ा हूँ मैं
वहां धरती – अम्बर एक समान हैं
ये जिद हैं मेरी
हर मुश्किल से लड़ने की
जिद हैं मेरी…………
सुरेश के
सुर…………..
My willfulness………..
This is my willfulness.
The Sky, tell me
what is your limit……….
How many stars
shine in your lap……….
How many secrets have you
hidden in your shadow .
One day I will expose you.
This is my willfulness.
The waves of the ocean
hit the shore,
waves touch and return.
But when there is a storm,
ocean crosses all limits.
This is my willfulness……….
Tell the winds,
stay within their limits,
try not to hit the rocks.
This boiling boil in my body………
Tell the sun,
I have more fire than you.
Where, I stand……….
The earth and sky are the same.
This is my willfulness
to fight with every difficulty.
My willfulness…………
Suresh Saini