Hindi Poem On Grand Father & Grand Mother : Dada – Dadi Ki Yaadein………….

दादा – दादी  की  यादें…………

दादा  की  याद  तो  आँखों   में  आती  नहीं

कहते  हैं  बड़ा  लाड़ला  था  मैं  उनका

मैं  भी  दादा  को  बड़ा  प्यार  करता  था

पर  दादा  मुझे  जल्दी  ही  अकेला  छोड़  गये

फिर  भी  बातों – किस्सों  में  याद  आते  हैं  दादा

पर  हाँ  दादी  की  यादें

आज  भी  हैं  ताजा

गर्मी  की  छुट्टियों  में

गांव  में  जाना   होता  था

या  किसी  बड़े  अवसर  पर  ही

दादी  से  मिलना  होता  था

दादी  के  आगे – पीछे   बड़ा  परिवार  था

फिर  भी  दादी  को  स्नेह  का  इंतजार  था

बुढ़ी  दादी  बहुओ  के  तानों  से  मारी

रोज  ना  जाने  क्या – क्या  सहती  थी

पर  दादी  की  खास  बात  थी

दादी  मुस्कुराती  रहती  थी

हम  दादी  से  अटपटे  सवाल  करते  थे

दादी  कभी  तुनककर  जवाब  देती

तो  दादी  कभी  सोच  में  पड़  जाती  थी

मैं  दादी  से  कम  ही  घुला – मिला  था

क्योंकि  गांव  में  कम  ही  आना – जाना  था

पर  हाँ  मुझे  अभी  भी  याद  हैं

दादी  का  एक  पोता

जो  हम   कई  भाइयों  में

थोड़ा  बड़ा  और  समझदार  था

दादी  का  बड़ा  ख्याल  रखता  था

दादी  की  एक  छोटी  सी  झोपड़ी  थी

टूटी – फूटी  सी  झोपड़ी

मेरे  हिसाब  से  दादा – दादी  की

वो  ही  एक  निशानी  थी

जिस  में  थी  एक  ‘ओबरी’

वो  ही  दादी  का  सिम – सिम  थी

इसके  अलावा  दादी  के  पास  थी

बस  एक  छोटी  सी  पोटली  और  पेटी

जिन्हें   दादी  हमेशा  अपने  पास  रखती  थी

कुछ  नहीं  थोड़ी  छोटी  जरूरतो  का  सामान  था

और  होंगे  तो  फटे – पुराने  कपड़े

बस  यही  हुआ  करते  थे

उस  जमाने  के  सपने

और  हाँ  एक  बात  तो

मैं  आपको  बताना  ही  भूल  गया

जाते – जाते  भी  दादी  ने  बहुत  हंसाया  था

शोर  मच  गया  था

बोले  दादी  तो  गई

पर  कुछ  ही  देर  में  दादी  वापस  लौट  आई

सुबह  का  समय  था

सब  खाने – पीने  में  व्यस्त  हो  गये

थोड़ी  ही  देर  में  वापस  खबर  आई

अब  तो  आप  समझ  ही  गये  होंगे

इसबार  दादा  ने  उन्हें

अपने  पास  बुला  लिया  था

अब  जब  भी  याद  आती  हैं  सब  हँसते  हैं

बोले  जाते – जाते  भी  दादी

सबको  खाना  खिलाकर  गई

शायद  इसीलिए  दादी  वापस  लौट  आई  थी

सच  में  आज  दादा – दादी  को  याद  करते  हुए

आँखे  नम  हो  गई

पुराने  गांव  की  यादें  ताजा  हो  गई…………

सुरेश  के
सुर…………



Grandparents memories………

The memory of grandpa

does not come to my eyes.

My family says that

I was his great darling.

I also……….

loved grandpa very much.

But my grandpa

soon left me alone.

Still, my grandpa comes

to my mind in talks and stories.

But yes,

grandma’s memories

are still fresh today.

I used to go village

in the summer holidays

or on some big occasion

used to meet grandma.

Grandma had a big family

behind her.

Still, grandma was waiting

for affection.

Old grandma taunted

by daughters-in-law.

I don’t know what

she had to endure every day.

But grandma……….

had a special thing,

grandma kept smiling.

We used to ask

funny questions to grandma.

Grandma would sometimes

answer softly or grandma

would sometimes

get lost in thoughts.

I was not so intimated

with grandma because

there was very little

commute in the village.

But yes, I still remember that

grandma’s one grandson

who was little elder and wiser

among us. 

Took  great care of grandma.

Grandma had a small hut.

Broken down hut………..

According to me,

that was the only……….

memento of grandparents

in which there was an ‘obri’

that was grandma’s sim-sim.

Apart from this,

grandma had

Just a small bundle and box.

Which grandma always

kept with her.

There was nothing,

just a few things for small needs.

And if,

there were torn old clothes.

That’s all we used to do,

dreams of that era.

And yes, one thing

I forgot to tell you.

Even while leaving,

grandma made us

laugh a lot.

There was noise,

grandma had gone.

But after some time

grandma came back.

It was morning.

Everyone got busy

in eating etc.

After a while

the news came back.

Now you must have understood.

This time grandpa had called

the grandma.

Now whenever we remember

everyone laughs saying that

grandma while leaving too

went after feeding everyone.

May be that’s why

grandma came back.

Really remembering……….

my grandparents today

eyes became moist.

Memories of the old village

became fresh………….

                          Suresh Saini

 


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