मंजिल का ध्यान कर ले…………
कहां ‘जी’ रहा हैं तू
किसको कह रहा हैं तू
कौन खड़ा हैं सामने
अपने आप से भी अनजान हो गया हैं तू
किसको दोष दे रहा हैं तू
क्यों गलती का शिकार हो गया हैं तू
सत्य की पहचान कर ले
अपनी मंजिल का फिर से ध्यान कर ले
निराशा के घर से निकलकर
आशा के घर में प्रवेश कर ले
अपने आप को फिर से सशक्त कर ले
तू पहुंचेगा मंजिल तक
खुद को तू आश्वस्त कर ले
कहां ‘जी’ रहा हैं तू
बता दे दुनिया को
क्यों ‘जी’ रहा है तू………..
सुरेश के
सुर…………
Keep an eye on the goal………
Where are you living?
Who are you telling?
Who is standing in front?
You have become unaware
even of yourself.
Who are you blaming?
Why have you become
a sufferer of mistake?
Identify the truth………..
Refocus on your goal.
Coming out of the house of despair
enter the house of hope.
Strengthen yourself again.
You will get your goal.
You reassure yourself.
Where are you living?
Tell the world……….
Why are you ‘living’………..
Suresh Saini