बच्चे माँ – बाप के लिये………..
बच्चे माँ – बाप के लिये
कभी बड़े नहीं होते
देखो ये हैं मेरी माँ
गुस्से में कुछ कह भी सकती हैं
गलती करूं मैं अगर
मेरे गाल पर थप्पड़ मार भी सकती हैं
पर थप्पड़ मारकर अंदर ही अंदर
वो रो भी देती हैं
छोटा सा बच्चा
जब मैं रातों को रोता था
सारी – सारी रात वो जागकर मुझे सुलाती थी
थपकी लगाती थी
कभी लोरी सुनाती थी
शायद भूख लगी होगी मुझे
तो वो दूध पिलाती थी
मैं सूखे में सोता था
पर वो गीले में भी सो जाती थी
मुझे बड़े प्यार से नहलाती – सुलाती थी
दिनभर काम करती
पर मेरे रोने पर दौड़ी चली आती थी
मैं कैसे भुला दूँ
माँ के प्यारे हाथों को
जिनसे मैंने खाना सीखा
दौड़कर गिरना – चलना सीखा
जिनसे मैंने पहला अक्षर लिखना सीखा
माँ के लटकते पल्लू को
उस आँचल की छावं को
मैं कैसे भुला दूँ उस गोद को
जिसमे मैंने कई खेल हैं खेले
अगर उसने कभी डांट भी दिया
मुझे समझाने के लिये थप्पड़ मार भी दिया
तो क्या एक बेटा
अपनी माँ से ऊँची आवाज में
बात करने की सोच भी सकता हैं
चाहे कितने ही बड़े हो जाये बच्चे
माँ – बाप को वो जीत नहीं सकते
माना उठाकर फैंक सकते हैं कचरे में
पर वो बच्चे कभी खुश नहीं रह सकते
फिर भी माँ – बाप
बच्चों को कभी बद्दुआ नहीं देते
क्योंकि बच्चे
माँ – बाप के लिये कभी बड़े नहीं होते……….
सुरेश के
सुर………..
Children for parents………
Children for parents
never grow up.
Look, this is my mother.
She can even say something in anger.
If I make a mistake,
she can even slap me
but by slapping
she also cries inside.
Small child…………
When I used to cry at night,
all through the night,
she used to stay awake
to put me to sleep.
She used to pat and
sing lullabies sometimes.
I might be hungry……….
So she used to feed milk.
I slept in the dry
but she used to sleep
even when wet.
She used to bathe me and put me
to sleep with great love.
She worked all day long
but when I cried she came running.
How can I forget………..
Mother’s loving hands.
From whom I learned to eat,
learned to walk by running and falling,
from whom I learned
to write the first alphabet.
Mother’s hanging Pallu,
the shade of that Anchal,
and how can I forget that lap……….
in which I have played many games.
Even if she ever scolded me,
even slapped me to
make me understand.
So what a son can think
to talk loudly to his mother.
No matter how big the children grow,
they can’t win over their parents.
Parents can be thrown in the garbage.
But those children can never be happy.
Still, parents…………..
Never curse children.
Because children…………
One is never too big for
one’s parents………….
Suresh Saini
Hey people!!!!!
Good mood and good luck to everyone!!!!!