बेटा और बेटी……………
बेटे का जन्म हुआ
घर में मंगल हुआ
बेटी का जन्म हुआ
मन में संकोच हुआ
बेटे पर पैसा खर्च हुआ
ये तो सहर्ष हुआ
बेटा कमाकर लाएगा
बुढ़ापे में रोटी खिलायेगा
बेटी पर होगा जीवन भर खर्चा
बेटी तो बनेगी दूसरे घर का पर्चा
बस इसी सोच से समाज को आजाद करना हैं
बेटियों के जन्म का
खुशियों से सत्कार करना हैं
बेटी भी आगे बढ़कर
हर जिम्मेदारी को साकार करती हैं
बेटी में ताकत हैं
वो दो घरों का मान रखती हैं
बेटा – बेटी हैं समाज का पूरक
इन दोनों में न भेद करो
हे ! पुरूष प्रधान समाज आँखे खोलो
संकुचित सोच से खुद को आजाद करो
अब समय आ गया हैं
नए समाज के साक्षी बनो……………..
सुरेश के
सुर…………..
Son and daughter…………..
The birth of son is a
good luck at home.
The birth of daughter…………
There is hesitation in my mind.
Spent money on son,
this happened with pleasure.
The son will earn
and feed bread in old age.
The daughter will demand
to whole life.
The daughter will go
to another house.
Liberate the society with this thinking.
Welcome the birth
of daughters with happiness.
Daughter also comes forward,
fulfills every responsibility.
Daughter has courage
to respect two houses.
Son and daughter are the
complement of the society.
Do not compare…………
Oh! ‘Man’ dominated society
open your eyes.
Free yourself from narrow thinking.
Now the time has come.
Be a witness of the new society………
Suresh Saini