बादल बन उड़ता फिरूं ………….
मैं बादल बन उड़ता फिरूं
बादल बन मैं सूरज को भी ढकूं
कभी श्याम – कभी श्वेत
मैं अनेको रंगो में सजूं
दिन हो या रात
सारे गगन की मैं सैर करूं
मैं बादल बन उड़ता फिरूं
मैं हवाओं के संग – संग उडूं
मैं जल – अग्नि को भी समेटे ले चलूं
मेरा आना कभी लगे डरावना
कभी मुझे देखते ही मौसम हो जाए सुहावना
मैं बादल बन उड़ता फिरूं
नये- नये मैं खेल रचूं
देखो मैं बादल बन उड़ता चला…………
सुरेश के
सुर…………..
Fly like a cloud…………
I will fly like a cloud.
Let me become a cloud and
cover the sun.
Sometimes black – sometimes white,
I dress up in many colors.
Day or night,
I will travel across the sky.
I will fly like a cloud.
I fly with the wind.
I can carry water and fire
along with me………..
My arrival sometimes seems scary,
sometimes the weather becomes
pleasant as soon as you see me.
I will fly like a cloud.
I create new games…………
Look,
I am flying like a cloud…………
Suresh Saini