जब माँ ने मुझे डांटा था…………
जब माँ ने मुझे डांटा था
बहुत डर गया था मैं
जाकर एक कोने में छुप गया था मैं
डर गये थे पापा भी
कहाँ चला गया हूँ मैं
खोज – खोजकर थक गये थे वो
अब तो माँ भी थोड़ा डर गई थी
मेरा नाम ले – लेकर
थोड़ा प्यार से बोल रही थी
कोने में बैठा – बैठा
मैं भी अब थक गया था
माँ के प्यार से थोड़ा पिघल गया था
अब मेरी भी हिम्मत थोड़ी बढ़ने लगी थी
थोड़ा डर को पीछे छोड़कर
पापा को आगे करके
जैसे ही मैं बाहर निकला
माँ ने मुझे सीने से लगा लिया था
एकबार फिर से प्यार से डांट दिया था
जब माँ ने मुझे डांटा था …………
सुरेश के
सुर…………
Mother scolded me………
When mother scolded me,
I was very scared.
I went and hid in a corner.
Papa was also scared.
Where have I gone………..
He was tired of searching.
Now even mother was a little scared.
She was speaking lovingly
taking my name.
Sitting in the corner,
I too was tired now.
I was melted a little by mother’s love.
Now my courage also started
increasing a little.
Leaving a little fear behind,
putting ‘Papa’ forward,
as soon as I came out
mother hugged me.
Once again scolded me lovingly.
When mother scolded me…………
Suresh Saini